राम ,एक अवतरित मनुष्य, जिन्होंने प्राचीन त्रेतायुग में मर्यादा के नवीन आदर्श प्रस्तुत किये।हर युग में पाप का स्तर अलग अलग रहा ,इसी अनुसार ईश्वर का इनसे निपटने के माध्यम भी उसी तरह समयानुसार ही रहा। जहाँ त्रेता में एक ऐसा खलनायक रावण जो ज्ञान से भी विभूषित था ,द्वापर में कंश जैसा हत्यारा ,कौरव जैसे अन्यायी ।त्रेता में युद्ध मर्यादित रहा क्योंकि उस समय के खलनायको का स्तर उतना गिरा नही था,मसलन राक्षस(बुरी प्रविर्ती) कुल में भी विभीषण ,कुम्भकर्ण ,मंदोदरी जैसे नैतिक लोग भी रहे। उस समय रावण का वध मर्यादा के मानदंड स्थापित करने के लिए बहुत अहम हो गया था । युग बदला द्वापर आया,अपने साथ पाप और अनैतिकता के नए आयाम लाया।इस दफा उसका उन्मूलन किया एक और अवतरित मनुष्य श्रीकृष्ण ने लेकिन उनका माध्यम पूरी तरह मर्यादित नही रहा ,इसलिये हम केवल राम को ही मर्यादा पुरुषोत्तम कहते है ।धर्म की रक्षा हर युग मे सर्वोपरि थी ,द्वापर में त्रेता से भी घृणित कृत्य हुए,लेकिन युद्ध मे कदाचित कृष्ण ने छल के मार्गो का अनुसरण करने में भी गुरेज़ नही किया क्योंकि धर्म की...