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गाँधी के सँघर्ष

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गाँधी ने संघर्ष को कई चरण में अंजाम दिया। चाहें वह दक्षिण अफ्रीका के उदारवादी चरण की बात हो जब गाँधीजी ने भारतीयों को संगठित कर  'नेटल इंडियन कांग्रेस' की स्थापना की या फिर उस अहिंसात्मक प्रतिरोध(Peaceful resistance) की बात हो जिसे उन्होंने' सत्याग्रह' नाम दिया।दक्षिण अफ्रीका में ब्रिटिश हुकूमत द्वारा किये जाने वाले अत्याचारों, अन्यायों में भारी कमी आई। गाँधी  जनवरी 1915 में भारत आए।रौलेट सत्याग्रह शुरू करने के पहले , तीन संघर्ष किये,चम्पारण(First civil disobedience), अहमदाबाद(प्रथम भूख हड़ताल) और खेड़ा सत्याग्रह(First Non cooperation)    रौलेट सत्याग्रह  भारत मे उनका प्रथम जन आंदोलन था।जलियांवाला बाग हत्याकांड से देश रो पड़ा लेकिन गाँधी के सँघर्ष कहा रुकने वाले थे। 1919 से 1922के बीच दो सशक्त जनांदोलन चलाये गए-असहयोग और ख़िलाफ़त। 1922 के दौर में गिरफ़्तार और फिर रिहा होने के बाद वह सक्रिय राजनीति से दूर रहे लेकिन सामाजिक रचनात्मक कार्यों में अग्रणी। 1929 में वह फिर सक्रिय होते है,रावी के तट पर पूर्ण स्वराज्य के मांग के साथ ही शुरू होता है सविनय अवज्ञा आंदोलन। ...