Detective rays and Ganges
पिता-पुत्र 👨👦घाट की सीढ़ियों पर बैठे हुए गंगा नदी के सानिध्य में एक रमणीय सवेरे 🌅 का दर्शन कर रहे थे।पिता अपने जीवन के कोलाहल को नदी के बहाव में मिलाने में जहाँ व्यस्त थे, वही बेटा अपनी नज़रो को चारो दिशाओं में घुमाकर ,सूक्ष्म अन्वेषण करने में मशगूल था।जीवन के यह दो स्वरूप जहाँ अपना परिचय दे रहे थे ,वह स्थान था बनारस।
बनारस,एक ऐसा शहर जो अपने सुबह 🌅 के लिए जाना जाता है,जब सूरज गंगा के माथे पर चमकता तब ऐसा लगता मानो वह खुद इस महान धार की अविरलता को प्रणाम👏 कर रहा हो।उससे निकलने वाली किरणों में एक होड़ मची होती ,जीवनदायिनी के जल को छू लेने की।
"पापा ,क्या हम भी नदी में नहाएंगे ?" 7 साल के सूरज ने उत्सुकता में भरकर प्रश्न किया।। "हाँ ,बेटा ये गंगा माँ है,यहाँ सब लोग नहाते है,हम भी यहाँ नहाएंगे" उत्तर देते हुए श्याम जी बोले।
"लेकिन,पापा बहुत गन्दा पानी है,मम्मी गन्दे पानी में नहाने से मना करती है" सूरज ने कुछ निर्देशों का ध्यान करते हुए कहा। अपने बेटे को निर्देशो के प्रति इतना सजग देखकर श्याम जी बहुत ख़ुश😇 हुए और थोड़ी देर सोचने के बाद बोले
" देखो सूरज कैसे नदी🌊 के अंदर चमक रहा है,कैसे उसकी किरणे नदी के अंदर जा रही है,जब वह सूरज नदी में नहा सकता ,तब तुम भी तो सूरज हो ,मेरे सूरज ,"
अपनेपन के इस वृहद भाव ने उस छोटी गुंजाइश को खारिज कर दिया ,लेकिन बच्चे के जिज्ञासा को खत्म करने
का माद्दा तो ख़ुद ईश्वर में भी नही हो सकता।
"क्या यह किरणे उस सूरज की दोस्त है?"उसने जिज्ञासा से पूछा । "हाँ बेटा, तभी तो वह वहाँ से निकल रही है "कहते हुए श्याम जी घाटों से नीचे नदी की तरफ़ बढ़ने लगे।
सूरज का खोजी दिमाग़ सभी प्रश्न और उत्तर को टटोल रहा था,खोजी अभियान जारी था और आखिर एक अनोखे विचार ने जन्म ले ही लिया। "हर रोज किरणें🌞 नदी के गंदगी का पता 🔍लगाने आती होंगी,वो जरूर जासूसी 🕵🕵करती होंगी पापा
किरणें सूरज☀ की दोस्त 👥होती है कि नही??"
श्याम जी प्रश्न❓ के उत्तर देते देते ऊब गए थे। वह खीझकर बोले"मुझे नही पता ,तुम डुबकी लगाओ"वह सूरज को लेकर गंगा🌊 की गोद में चले गए" लेकिन सूरज ☀के अनुत्तरित प्रश्न की ध्वनि फ़िज़ायो में फैल चुकी थी।
मान्यता है कि गंगा जल में डुबकी लगाने से लोग पाप मुक्त होते है और अपराधों का प्रयाश्चित भी हो जाता है तो क्या किरणे भी गंगाजल से टकराकर पापमुक्त होना चाहती है ?
ऐसा भी सम्भव है कि वह एक जासूस हो,जो प्रातः काल सबके उठने से पहले आकर प्रदूषण की जांच करती हो़ और फिर उनकी व्यापक रिपोर्ट सूरज🌤 को देती हो ।ख़ैर इस बाबत भी सोचने पर एक गंभीर प्रश्न खड़ा होता है कि इतनी रिपोर्टों के बाद भी अपने सूरज☀ मामा कोई कार्यवाही क्यो नही करते...... ?
क्या उस तारे पर भी भ्रष्टाचार है....?🤔 क्या किरणें सच मे उस चमकते सूरज की सच्ची दोस्त है?🙄 या फिर किरणों को रिपोर्टिंग ही नही करने आता?😕
इन गम्भीर प्रश्नों से इतर सूरज☀ के मासूम सवाल ने कई रहस्यों को उजागर करने की सम्भावना पर बल दे दिया था।रहस्यद्धघोटन जिजीविषा की एक झलक पेश करता है।वह नदी जिसे माँ का दर्जा प्राप्त है ,उसे प्रदूषण से मुक्ति हम कब तक दिला पाएँगे? यह आज के परिवेश में एक विचारणीय प्रश्न है
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