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Showing posts from May, 2020

चाटूकारों के नाम हास्य लेख

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हे इस चराचर जगत्‌ के समस्‍त  चापलूसो! आप पर कुछ लिखने से पहले आपको मेरा कोटि- कोटि प्रणाम! मुझे आप मेरी इस धृष्टता के लिए क्षमा करेंगे। आप पर मैं तो क्‍या, व्‍यास जी होते तो भी लिखने से पहले सौ बार दंड- बैठक निकाल लेते। उसके बाद भी आप पर लिखने का शायद ही दुस्‍साहस कर पाते। यह तो मेरा दंभ है कि हजार बारह सौ शब्दों का व्‍यंग्‍य लिखने वाला टुच्‍चा सा दिशाहीन, दशाहीन बुद्धिजीवी आप पर लिखने का दुस्‍साहस कर रहा है। आप मेरी इस गुस्‍ताखी को माफ करेंगे क्‍योंकि आप पर लिखना केतू पर थूकना जैसा है पर क्‍या करूं, अगर न लिखूं तो उपवास रखने के बाद भी  लिखे बिना मुझे कब्‍ज हो जाती है और आप तो जानते ही हो कि कब्‍ज हर बीमारी की जड़ है। हे साहब के प्रिय चापलूसो। साहब जितना आपसे प्रेम करते हैं उतना तो अपनी बीवी से भी नहीं करते होंगे। मैं तो बस अपनी कब्‍ज को दूर करने के लिए आप पर लिख रहा हूं। लिखने के बहाने आपको अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा हूं। आप प्रातः स्‍मरणीय हो। आप किसी भी न काम करने वाले को साहब की नजरों से सातवें आसमान पर चढ़ा सकते हो तो किसी दिन- रात जिंदगी भर काम करने वाले को एक ...

आरक्षण:समीक्षा,समाधान, विधि-विधान और सरकार

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भारतीय समाज में कर्म को जन्म से ऊपर तरज़ीह दिए जाने का एक विस्त्रित इतिहास रहा है इसलिए आदि काल से वर्ण व्यवस्था जो कर्म आधारित थी उसके अनुसार समाज बहुत सुचारू रूप से चल रहा था लेकिन कैसे, कब और क्यों यह कर्म आधारित व्यस्था जन्म आधारित जाती व्यवस्था में बदल गई उसके कारणों की पड़ताल नही की गई। उसका दुष्प्रभाव यह रहा कि अपने ही समाज का एक तबक़ा हाशिये पर चला गया।छुआछूत जैसी मानसिक विकृति लोगों के मन मे घर करती रही औऱ हिन्दू समाज बटता गया।सामाजिक आंदोलन हुए,जागरूकता के प्रयास हुए लेकिन वो नाकाफ़ी रहे।     आरक्षण का संक्षिप्त इतिहास समाज के शोषित तबक़े को न्याय देने के लिए कानूनी रूप से प्रयास किए जाने लगे। गवर्नर लार्ड रिपन के समय 1882 में हंटर आयोग गठित हुआ जिसने दलितों की शिक्षा के लिए पहली दफा  कुछ कानूनी प्रावधान किए। अंग्रेज द्वारा बाटो और राज करो नीति के माध्यम से मसलन मोर्ली मंटो रिफॉर्म(1909),मांटेग्यू क्लेमस्फोर्ड रिफॉर्म( 1919) के तहत कम्युनल एलेक्ट्रोरेट  सुझाए जाते रहे और आख़िरकार 1932 के कम्युनल अवार्ड के ज़रिए हिन्दू को बांटने के लिए दलितों के लिए...