चाटूकारों के नाम हास्य लेख

हे इस चराचर जगत् के समस्त चापलूसो! आप पर कुछ लिखने से पहले आपको मेरा कोटि- कोटि प्रणाम! मुझे आप मेरी इस धृष्टता के लिए क्षमा करेंगे। आप पर मैं तो क्या, व्यास जी होते तो भी लिखने से पहले सौ बार दंड- बैठक निकाल लेते। उसके बाद भी आप पर लिखने का शायद ही दुस्साहस कर पाते। यह तो मेरा दंभ है कि हजार बारह सौ शब्दों का व्यंग्य लिखने वाला टुच्चा सा दिशाहीन, दशाहीन बुद्धिजीवी आप पर लिखने का दुस्साहस कर रहा है। आप मेरी इस गुस्ताखी को माफ करेंगे क्योंकि आप पर लिखना केतू पर थूकना जैसा है पर क्या करूं, अगर न लिखूं तो उपवास रखने के बाद भी लिखे बिना मुझे कब्ज हो जाती है और आप तो जानते ही हो कि कब्ज हर बीमारी की जड़ है। हे साहब के प्रिय चापलूसो। साहब जितना आपसे प्रेम करते हैं उतना तो अपनी बीवी से भी नहीं करते होंगे। मैं तो बस अपनी कब्ज को दूर करने के लिए आप पर लिख रहा हूं। लिखने के बहाने आपको अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा हूं। आप प्रातः स्मरणीय हो। आप किसी भी न काम करने वाले को साहब की नजरों से सातवें आसमान पर चढ़ा सकते हो तो किसी दिन- रात जिंदगी भर काम करने वाले को एक ...