दीपावली की प्रासंगिकता
भारत त्योहारों का देश है।हर त्योहार के मनाए जाने के पीछे कुछ कहानियाँ जरूर होती है।त्योहार की प्रासंगिकता, उनसे जुड़ी संस्कृति ,रीति रिवाजों के तर्क जानने, समझने की ललक हमेशा से रही ।मैं IISER पहुँचा ,वहाँ भारत के हर राज्य के प्रमुख त्योहारों को मनता देख रहा हूँ और कल्पना कर रहा हूँ कि भारत देश की संस्कृति और कितनी समृद्ध हो सकती है! आज दीपावली का पर्व है,आईये दीपावली की प्रासंगिकता का विश्लेषण करते है।हमे बताया गया है कि जब भगवान राम वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे तब उनके स्वागत में दीपमाला सजाई गई और तबसे दीपावली मनाई जाने लगी लेकिन दीपावली पर लक्ष्मी पूजन क्यों होता है? राम और सीता की पूजा क्यों नही? दूसरा प्रश्न यह कि दीपावली पर लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा क्यों होती है, विष्णु भगवान की क्यों नहीं? दीपावली का उत्सव दो युग, सतयुग और त्रेता युग से जुड़ा हुआ है। सतयुग में समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी उस दिन प्रगट हुई थी इसलिए लक्ष्मीजी का पूजन होता है। त्रेता युग में अश्विन मास के दशमी को राम ने रावण का वध किया, उस प्रतीक को हम दशहरा के ...